बृज रज में लोट लगाय लीजो तू जब वृन्दावन आए लिरिक्स

बृज रज में लोट लगाय लीजो,
तू जब वृन्दावन आए,
तू जब बरसाना आए,
तू जब गोवर्धन आए,
बृज रज में लोट लगाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए।।



ये मन मेरो है मटमैलो,

ये मन मेरो है मटमैलो,
या रज में कुंवर कन्हैया खेल्यो,
वा रज को शीश नवाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए,
बृज रज में लोट लगाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए।।



गोवर्धन की छटा निराली,

गोवर्धन की छटा निराली,
फूल रही है डाली डाली,
पर्वत को शीश नवाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए,
बृज रज में लोट लगाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए।।



बरसाने की देखन होली,

बरसाने की देखन होली,
लो आई रसिकन की टोली,
थोड़ा रसिकन से बतियाय लीजो,
तू जब वृन्दावन आए,
बृज रज में लोट लगाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए।।



गोवर्धन दे परिक्रमा,

गोवर्धन दे परिक्रमा,
फिर वृन्दावन को आए,
या रज को शीश नवाई लीजो,
Bhajan Diary Lyrics,
तू जब वृन्दावन आए,
बृज रज में लोट लगाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए।।



बृज रज में लोट लगाय लीजो,

तू जब वृन्दावन आए,
तू जब बरसाना आए,
तू जब गोवर्धन आए,
बृज रज में लोट लगाई लीजो,
तू जब वृन्दावन आए।।

स्वर – बृजरस अनुरागी पूनम दीदी जी


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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