ब्रज गलियों में झूम झुम के,
मन की तपन बुझाओ,
राधे राधे गाओ,
राधे राधे गाओ,
मन श्यामा श्यामा गाओ।।
तर्ज – ऐसी मस्ती कहाँ मिलेगी।
कभी कन्हैया यमुना किनारे,
गाय चराते मिलेंगे,
जितनी तमन्ना दिल में भरी है,
एक एक उन से कहेंगे,
मन के मन मंदिर में प्यारे,
बांके बिहारी बिठाओ,
राधे राधे गाओ,
राधे राधे गाओ,
मन श्यामा श्यामा गाओ।।
मोर पपिहा कोयल मैना,
यही राग दौहराते,
कदम डाल पर बैठे यहाँ सब,
राधे राधे गाते,
कृपा करो श्री राधे अपना,
दर्शन हमें कराओ,
राधे राधे गाओ,
राधे राधे गाओ,
मन श्यामा श्यामा गाओ।।
राधे कृपा से हम तुम सब पर,
कृपा करेंगे बिहारी,
खोज खोज कर हार चुके है,
सुनलो श्याम बिहारी,
रो रो करके मधुप श्याम को,
मन की व्यथा सुनाओ,
राधे राधे गाओ,
राधे राधे गाओ,
मन श्यामा श्यामा गाओ।।
ब्रज गलीयो झूम झुम कर,
मन की तपन बुझाओ,
राधे राधे गाओ,
राधे राधे गाओ,
मन श्यामा श्यामा गाओ।।