तिरछी चितवन से करके इशारे,
चोट ऐसी जिगर पे ये मारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारे,
ओय होय कजरारे,
तेरे नैना कजरारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारें।।
मिल गए जब से नैनों से नैना,
एक पल भी ना आए रे चेना,
देख नैनो से ऐसे नजारे,
दीवाना हमें कर डारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारें।।
मेरे नैनो को भाये ये नैना,
मेरे दिल मैं समाए ये नैना,
चले नैनों से तीर करारे,
सुध तन मन की सारी बिसारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारें।।
नैनों से पिला दे तू साकी,
अब रहे होश ना कोई बाकी,
बहे नैनों से ऐसे पना रे,
जिया जाए ना अब बिन तुम्हारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारें।।
तिरछी चितवन से करके इशारे,
चोट ऐसी जिगर पे ये मारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारे,
ओय होय कजरारे,
तेरे नैना कजरारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारें।।
ये ‘चित्र विचित्र’ से नैना,
बोले मंद मंद कछु बैना,
राधा रसिक बिहारी मतवारे,
पागल के तुम्ही हो प्राण प्यारे,
बिहारी तेरे नैना कजरारें।।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।