भोले गिरीजापति शंकर,
दोहा – सुना है कि नाथ तुम,
अनाथो के नाथ हो,
कहती है दुनिया सारी,
तुम भोले नाथ हो।
भोले गिरीजापति शंकर,
हमें तेरा सहारा है,
हाथ पकड़ो मेरा शंभू,
नहीं कोई हमारा है।।
तर्ज़ – एक प्यार का नगमा है।
सुनते है तेरी रहमत,
भक्तो पर बरसती है,
आँखें मेरी भोले,
दर्शन को तरसती है,
आँखें मुंद तु बैठा,
और किसका सहारा है,
हाथ पकड़ो मेरा शंभू,
नहीं कोई हमारा है,
भोलें गिरीजापति शंकर,
हमें तेरा सहारा है।।
विष को पी कर तुने,
देवो का मान किया,
खुश होकर देवो ने,
महादेव का नाम दिया,
नीलकण्ठ सुनो अर्जी,
तु ही जीवन सहारा है,
हाथ पकड़ो मेरा शंभू,
नहीं कोई हमारा है,
भोलें गिरीजापति शंकर,
हमें तेरा सहारा है।।
मैं हार चुका भोले,
नही शक्ति बची मुझ में,
सुन हे गंगाधारी,
बस आश लगी तुझ से,
भोले राखो अब लाज मेरी,
‘आनन्द’ बेसहारा है,
हाथ पकड़ो मेरा शंभू,
नहीं कोई हमारा है,
भोलें गिरीजापति शंकर,
हमें तेरा सहारा है।।
भोले गिरीजापति शंकर,
हमें तेरा सहारा है,
हाथ पकड़ो मेरा शंभू,
नहीं कोई हमारा है।।
– लेखक / गायक / प्रेषक –
कुमार आनन्द।
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