सिर पे ओ भोले अपने,
चुनरिया डाल के,
भोला से बन गए भोली,
घुँघटा निकाल के।।
bhola se ban gaye bholi ghunghat nikal ke
तर्ज – छुरिया चल जाए।
तर्ज – एक दिन वो भोला भंडारी।
ये तो बता दो कहा छुपेगी,
ये कंठी ये माला,
ये कंठी ये माला,
कहां छुपाओ भोले अपनी,
ये सर्पो की माला,
ये सर्पो की माला,
इनको तो गौरा मेरी,
झोली में डाल दे,
भोला से बन गए भोलीं,
घुँघटा निकाल के।।
ये तो बता दो कहा छुपेगा,
ये गंगा का पानी,
ये गंगा का पानी,
मर्दानी आवाज को भोले,
कैसे करोगे जनानी,
कैसे करोगे जनानी,
मुख पे तू गोरा मेरे,
घुँघट बस डाल दे,
भोला से बन गए भोलीं,
घुँघटा निकाल के।।
खबर पड़ी जब नंदलाला को,
नंदलाला मुस्काये,
नंदलाला मुस्काये,
सब तो आये बिन घूंघट के,
ये घूंघट में आये,
ये घूंघट में आये,
पाले पड़े हो भोले,
आज नंदलाल के,
भोला से बन गए भोलीं,
घुँघटा निकाल के।।
घूंघट पलट दिया कान्हा ने,
भोलेनाथ मुस्काये,
भोलेनाथ मुस्काये,
उसी समय पर भोले दानी,
गोपेश्वर कहलाये,
गोपेश्वर कहलाये,
औघड़ दानी है भोले,
पर है कमाल के,
भोला से बन गए भोलीं,
घुँघटा निकाल के।।
सिर पे ओ भोले अपने,
चुनरिया डाल के,
भोला से बन गए भोली,
घुँघटा निकाल के।।
गायक / प्रेषक – लाडला मोहित।
9627658621