भले कुछ और मुझे तू देना ना देना भजन लिरिक्स

भले कुछ और मुझे,
तू देना ना देना,
मगर इतनी किरपा,
श्याम मुझ पे करना,
खर्चा मैं घर का चलाता रहूँ,
जब तू मुझे बुलाए खाटू आता रहूँ,
भलें कुछ और मुझे,
तू देना ना देना,
मगर इतनी किरपा,
श्याम मुझ पे करना।।

तर्ज – मेरा एक सपना है।



दुनिया की नजरो में ये घर मेरा है,

वो क्या जाने दिया हुआ सब तेरा है,
दो रोटी इज्जत की,
सदा देते रहना,
तेरी इतनी किरपा,
श्याम मुझ पे करना।।



जब जब बाबा तुझसे मिलना चाहूँ मैं,

दौड़ा दौड़ा खाटू नगरी आउं मैं,
व्यवस्था ऐसी तू,
तेरी मुझ पे करना,
तेरी इतनी किरपा,
श्याम मुझ पे करना।।



दौलत दे या ना दे तेरी मर्जी है,

पर ‘सोनू’ की बाबा तुझसे अर्जी है,
कभी ना खोऊँ मैं,
ये इज्जत का गहना,
तेरी इतनी किरपा,
श्याम मुझ पे करना।।



भले कुछ और मुझे,

तू देना ना देना,
मगर इतनी किरपा,
श्याम मुझ पे करना,
खर्चा मैं घर का चलाता रहूँ,
जब तू मुझे बुलाए खाटू आता रहूँ,
भलें कुछ और मुझे,
तू देना ना देना,
मगर इतनी किरपा,
श्याम मुझ पे करना।।

स्वर – सौरभ मधुकर।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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