भक्तो ने झूला डाला,
झूले पर खाटू वाला,
बैठा बैठा मुस्काए,
हमें झाला दे के बुलाए,
ये कहता है की डोर हिलाओ तुम,
मुझको तो झुलाओ तुम।।
तर्ज – सूरज कब दूर गगन से।
सावन का महीना,
रिमझिम बरसे पानी,
आया है खाटू से,
चलकर शीश का दानी,
भक्तो ने इसे बुलाया,
ये प्रेम देखकर आया,
बैठा बैठा मुस्काए,
हमें झाला दे के बुलाए,
ये कहता है की डोर हिलाओ तुम,
मुझको तो झुलाओ तुम।।
धीरे धीरे प्रेमी,
डोरी हिला रहे है,
कितने खुश है सारे,
प्रभु को झूला रहे है,
जब कोई कही रुक जाता,
मेरा श्याम धणी फरमाता,
बैठा बैठा मुस्काए,
हमें झाला दे के बुलाए,
ये कहता है की डोर हिलाओ तुम,
मुझको तो झुलाओ तुम।।
मस्ती में बैठा है,
बड़ा मजा है आता,
कभी कभी झूले में,
खुद भी जोर लगाता,
ये उचक उचक को झूले,
लगता है छत को छूले,
बैठा बैठा मुस्काए,
हमें झाला दे के बुलाए,
ये कहता है की डोर हिलाओ तुम,
मुझको तो झुलाओ तुम।।
सावन के झूले का,
ये शौक़ीन पुराना,
मन में ना रह जाए,
इतना इसे झूलाना,
‘बिन्नू’ तुम गौर करो ना,
देखो मेरा श्याम सलोना,
बैठा बैठा मुस्काए,
हमें झाला दे के बुलाए,
ये कहता है की डोर हिलाओ तुम,
मुझको तो झुलाओ तुम।।
भक्तो ने झूला डाला,
झूले पर खाटू वाला,
बैठा बैठा मुस्काए,
हमें झाला दे के बुलाए,
ये कहता है की डोर हिलाओ तुम,
मुझको तो झुलाओ तुम।।
Singer – Komal Tiwari