भक्तों को फागण में बुलाये सांवरा,
खुद भी नाचे सबको नचाये सांवरा।।
लाल हरा रंग केसरिया,
भक्तों पे रंग डाले सांवरिया,
रंग लगाके रंग जमाये सांवरा,
खुद भी नाचे सबको नचाये सांवरा।।
ढोल नगाड़ा बाजे फागण में,
इत्र की फुहारें महके आँगन में,
प्रेमी संग नैन लड़ाये सांवरा,
खुद भी नाचे सबको नचाये सांवरा।।
चंग पे धमाल हर रोज़ करे,
भगत तेरे सब मौज करें,
मौज दिलाके मौज उड़ाए सांवरा,
खुद भी नाचे सबको नचाये सांवरा।।
प्रेमियों से मन की ये बात करे,
हर प्रेमी से मुलाक़ात करे,
हर पल तेरे साथ हूँ बताये सांवरा,
खुद भी नाचे सबको नचाये सांवरा।।
दरबार अनोखा सजवाता है,
सबकी ये बिगड़ी बनाता है,
देके आशीष दुःख मिटाये सांवरा,
खुद भी नाचे सबको नचाये सांवरा।।
भक्तों को फागण में बुलाये सांवरा,
खुद भी नाचे सबको नचाये सांवरा।।
स्वर – मानसी अग्रवाल।