भगती रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगी चोट कालजे करके।।
गोपीचंद जोगी हो गया जी,
ले लिया भगवा भाणा,
गुरू जाने भेजीया महल में,
डोड्या पे अलख जगाना,
भोजन छत्तीसौ त्याग के भी,
शखे फल तू खाना,
तब शोर मचा रणमास में रे,
तब शोर मचा रणमास मे रे,
देखा नही पीछे मुडके रे,
भक्ति रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके।।
वन वीज भरतरी भूप मे,
जब मारा एक निशाना,
सज गया मौका जोग का,
वो रखगा हो गया आना,
तुम मृत्यु मृग को जिन्दा करो,
नही तो धरदो भगवा भाणा,
जब किया सर्जीवन मृग को,
जब किया सर्जीवन मृग को,
गुरू किनी किरपा करके रे,
भक्ति रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके।।
सुल्तान मगन वैराग मे,
तज दिना बलंक बुखारा,
जो रथापालकी चालता,
पावा मे पड गया छाला,
ज्यारे पाँच टका पोशाक की,
वो ओडो गुदड भारा,
वो पडा रहे ऊजाड मे,
वो पडा रहे ऊजाड मे,
नही खाया ओदर भरके रे,
भक्ति रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके।।
विष भर भर प्याला भेजीया,
वो पीगई मीरा बाई,
सूली पर सेज बिछाया के,
सापों कि माला पहनाई,
गिरी तन के ले हरी सावरो,
मीरा के महला माई,
जब राणो दौडे मारने,
जब राणो दौडे मारने,
हाथ में खांडो खडके रे,
भक्ति रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके।।
कुए मे शेख फरीद ने,
जब बोली मीठी भाषा,
कौआ तू सब तन खावीयो,
मारे हाडा ऊपर मासा,
तू दो नैना मती खावजो,
मारे राम मिलन री आसा,
ऊंदा लटकाया उपमे,
ऊंदा लटकाया उपमे मे,
ओ होय आसरे हरी के रे,
भक्ति रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके।।
बाजीद कहे गुरू ऊट कोरे,
लोग कहे सब मुवा,
नथचकतो कुछ बिगडा नहीं,
बाजीद को अचरज हुआ,
उडने वाली चीजी उड गई,
उड गया सेलानी सुआ,
वो करी तपस्या जोर की,
वो करी तपस्या जोर की,
मौत काल से डर के रे,
भक्ति रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके।।
पीपाजी जल में कूद गया,
देखो कैसी करी दृढ काई,
नर तन का पाला जीतीया,
मृत्यु की बाजी लगाई,
बखना बंधु तू चेत जा,
दिन धिन तेरी कविताई,
दिन बिन चेत्या भूंडी होवसी,
दिन बिन चेत्या भूंडी होवसी,
जीवन मे सुखरत करले रे,
भक्ति रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके।।
भगती रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगनी रा मार्ग ओर है,
लगी चोट कालजे करके,
लगी चोट कालजे करके।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
आप ये प्रकाश माली का नाम लिख रहे हो लेकिन ये सभी भजन राजस्थान के आज 40 वर्ष पहले भजन सम्राट रामनिवास जी राव गाते थे। भजनों उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता।
बिलकुल हुकुम, बावजी जैसा ना हुआ है ना होगा, हम भी उनका आप जितना ही सम्मान करते है..