भई रे सब रे मतलब वाला लोग अब मोहे खबर पडी

भई रे सब रे मतलब वाला लोग,
अब मोहे खबर पडी,
भई रे सब रे स्वार्थ वाला लोग,
अब मोहे खबर पडी।।



एक डाल दो पंछी बैठा,

बोले हरी हरी,
टूटी डाल ने उड गया पंछी,
आ केडी प्रीत करी,
अब मोहे खबर पडी,
भई रे सब रे स्वार्थ वाला लोग,
अब मोहे खबर पडी।।



जब तक तेल दिये मे रेवे,

तब तक ज्योति जली,
खुट गया तेल ने बुझ गयी बतीया,
घोर अंधार भई,
अब मोहे खबर पडी,
भई रे सब रे स्वार्थ वाला लोग,
अब मोहे खबर पडी।।



जब तक बेल रेवे घानी मे,

तबतक कदर करी,
बूढा हुआ पचे सारनी पुचे,
भटके अली रे गली,
अब मोहे खबर पडी,
भई रे सब रे स्वार्थ वाला लोग,
अब मोहे खबर पडी।।



जेतु चावे जग में जीणो,

भजले हरी हरी,
अरे प्राणी भजले हरी हरी,
जीवडा भजले हरी हरी,
कहत कबीर सुनो भई साधु,
दुनिया है लालच सु भरी,
अब मोहे खबर पडी,
भई रे सब रे स्वार्थ वाला लोग,
अब मोहे खबर पडी।।



भई रे सब रे मतलब वाला लोग,

अब मोहे खबर पडी,
भई रे सब रे स्वार्थ वाला लोग,
अब मोहे खबर पडी।।

स्वर – मोईनुद्दीन जी मनचला।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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