ओ बाबा खाटू वाले,
मुझको तू दर पे बुला ले,
बेटी हूँ ना मैं तेरी,
मुझको तू गले लगा ले,
ओ बाबा श्याम,
दर पे बुला लेना,
दर्शन तो करा देना।।
तर्ज – ये बंधन तो।
बहुत दिनों से बाबा,
दर्शन ना हो पाए,
मंदिर अंदर बाबा,
कैसे तुम रुक पाए,
दर्शन को मनडा तरसे,
और आख्या झर झर बरसे,
ओ बाबा श्याम,
दर पे बुला लेना,
दर्शन तो करा देना।।
तुम ही मेरे जीवन हो,
तुझे देख देख जी लूंगी,
तेरे चरणों में बाबा जी,
मैं जीवन भर रह लूंगी,
अब दे दो शरण तुम्हारी,
क्या मैं नही तुमको प्यारी,
ओ बाबा श्याम,
दर पे बुला लेना,
दर्शन तो करा देना।।
तुम दर्शन दे दो तो,
मन बगिया खिल जाए,
मायूस हो चाहे हम,
तुझे देख के हम खिल जाए,
अब तो दर्शन दे दो ना,
‘खुशबू’ को खुश कर दो ना,
ओ बाबा श्याम,
दर पे बुला लेना,
दर्शन तो करा देना।।
ओ बाबा खाटू वाले,
मुझको तू दर पे बुला ले,
बेटी हूँ ना मैं तेरी,
मुझको तू गले लगा ले,
ओ बाबा श्याम,
दर पे बुला लेना,
दर्शन तो करा देना।।
गायन / लेखन – खुशबू अग्रवाल।
९८८३१३९५५९