बेफिकर मैं रहता हूँ जबसे उमा लहरी भजन लिरिक्स

बेफिकर मैं रहता हूँ जबसे,
सब मेरी फिकर वो रखता है,
मैं नींद चैन की सोता हूँ,
मेरी खातिर वो जगता है।।



मंज़ूर नही वो दोनो जहा,

जिसमे मेरा श्याम नही बसता,
नित्य तू डुबकी लगा मन रे,
यहा प्रेम का दरिया बहता है।

बेफिकर मै रहता हूँ जबसे,
सब मेरी फिकर वो रखता है,
मैं नींद चैन की सोता हूँ,
मेरी खातिर वो जगता है।।



वो मनमोहन घनश्याम किशन,

छलिया उसके है नाम कई,
गागर में कई सागर उसके,
दिल खोल लूटाया करता है।

बेफिकर मै रहता हूँ जबसे,
सब मेरी फिकर वो रखता है,
मैं नींद चैन की सोता हूँ,
मेरी खातिर वो जगता है।।



पाने के लिए इच्छाए बहुत,

खोने के लिए तो कुछ भी नही,
इस मन को तराजू तोलो हरी,
लहरी ये भटकता रहता है।

बेफिकर मैं रहता हूँ जबसे,
सब मेरी फिकर वो रखता है,
मैं नींद चैन की सोता हूँ,
मेरी खातिर वो जगता है।।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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