बीरा मत करजे रे अभिमान,
पिंजरा टूटेला।
दोहा – आया जहां से सेर करने,
हे मुसाफिर तू यहां,
सेर करके लौट जाना था,
अब तो तुझको फिर वहां।
सेर करना भूल कर,
निज घर बनाकर टिक गया,
कर याद अपने देश को,
परदेस में क्यों रुक गया।
भूलकर अनजान कुलटा नारी से,
संबंध तूने कर लिया,
कच्चे हुए बच्चे हुए रे,
जंजाल में अब फस गया।
कोई ते ते करे कोई मैं मैं करें,
कोई हंस रहा कोई रो रहा,
हे मुसाफिर चेत जा,
मल मूत्र अब क्यों धो रहा।
बीरा मत करजे रें अभिमान,
पिंजरा टूटेला।।
नगी तलवारिया का फेरा लगावे,
फिर भी काल पकड़ ले जावे,
बीरा घणा गया रे बलवान,
पिंजरा टूटेला,
बीरा मत करजें रे अभिमान,
पिंजरा टूटेला।।
तृष्णा करे थने नींद नहीं आवे,
कर्मा का लेख मिटे ना मिटावे,
बीरा क्यों होयो रे नादान,
पिंजरा टूटेला,
बीरा मत करजें रे अभिमान,
पिंजरा टूटेला।।
सचित दयानंद रूप तुम्हारा,
सतगुरु स्वामी देवे इशारा,
बीरा कर ले आत्मज्ञान,
पिंजरा टूटेला,
बीरा मत करजें रे अभिमान,
पिंजरा टूटेला।।
जब से काया को अपनी मानी,
तब से लग रही खेचा तानी,
बीरा भज ले श्री भगवान,
पिंजरा टूटेला,
बीरा मत करजें रे अभिमान,
पिंजरा टूटेला।।
निराकार पूरण प्रकाशी,
आत्म अजर अमर अविनाशी,
भारती नंद कहे धर ध्यान,
पिंजरा टूटेला,
बीरा मत करजें रे अभिमान,
पिंजरा टूटेला।।
बीरा मत करजे रे अभिमान,
पिंजरा टूटेला।।
गायक – पूरण भारती जी महाराज।
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