बताऊँ क्या तुझको,
साँवरे अपने दिल की बात,
मन की पीड़ा मन ही जाने,
मन की पीड़ा मन ही जाने,
या जाने तू नाथ,
बताऊं क्या तुझको,
साँवरे अपने दिल की बात।।
हिचकोले ना खाए वो नैया,
जिसके तुम हो श्याम खिवैया,
फिर क्यों मेरी जीवन नैया,
फिर क्यों मेरी जीवन नैया,
खाएँ भवर से मात,
बताऊं क्या तुझको,
साँवरे अपने दिल की बात।।
चोट जिगर पे इतने खाए,
दर्द सहा ना मुझसे जाए,
दिन की उजली धुप भी लगती,
दिन की उजली धुप भी लगती,
है अंधियारी रात,
बताऊं क्या तुझको,
साँवरे अपने दिल की बात।।
बिगड़ी मेरी तकदीर संवारो,
हर मुश्किल से श्याम उबारो,
दीन हीन तुम ‘कुंदन’ के हो,
दीन हीन तुम ‘कुंदन’ के हो,
पालक दीनानाथ,
बताऊं क्या तुझको,
साँवरे अपने दिल की बात।।
बताऊँ क्या तुझको,
साँवरे अपने दिल की बात,
मन की पीड़ा मन ही जाने,
मन की पीड़ा मन ही जाने,
या जाने तू नाथ,
बताऊं क्या तुझको,
साँवरे अपने दिल की बात।।
स्वर – कुमारी गुंजन।