बड़ी करुणामयी श्यामा,
ये है सरकार दीनो की,
बिराजे ऊंचे महलों में,
ये है सरकार दीनो की।।
करे जब मेहरबानी तो,
कृपा से झोली भर देती,
संभाले अपने भक्तो को,
कभी रोने नहीं देती,
बिठाती है ये पलको पर,
ये है सरकार दीनो की,
बिराजे ऊंचे महलों में,
ये है सरकार दीनो की।।
पड़ा चरणों की सेवा में,
यहां दुनिया का मालिक है,
चरण चूमे सदा इनके,
मेरा बांके बिहारी है,
बड़ी भोली सी है श्यामा,
ये है सरकार दीनो की,
बिराजे ऊंचे महलों में,
ये है सरकार दीनो की।।
तलब रख इनके चरणों की,
जो चाहे प्रेम तू पाना,
बहाकर आंख से मोती,
जमाने को न दिखलाना,
अतुल बलिहारी चरणों पे,
ये है सरकार दीनो की,
बिराजे ऊंचे महलों में,
ये है सरकार दीनो की।।
बड़ी करुणामयी श्यामा,
ये है सरकार दीनो की,
बिराजे ऊंचे महलों में,
ये है सरकार दीनो की।।
प्रेषक – विजय कुमार वर्मा।
मुरादाबाद।