बड़ी दीन दुखी हूँ अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
तर्ज – श्यामा आन बसो वृन्दावन में।
सब स्वारथ मित्र से विश्व भरा,
सब स्वारथ मित्र से विश्व भरा,
अब तेरे सिवा ना कोई मेरा,
अब तेरे सिवा ना कोई मेरा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे,
बड़ी दीन दुखी हूं अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
किये पाप अनेक अजानपने,
किये पाप अनेक अजानपने,
सब माफ़ करो सांवरे मेरे,
सब माफ़ करो सांवरे मेरे,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे,
बड़ी दीन दुखी हूं अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
मेरे पापों को याद करो मत ही,
मेरे पापों को याद करो मत ही,
अब राखो दयालु चरणे तेरे,
अब राखो दयालु चरणे तेरे,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे,
बड़ी दीन दुखी हूं अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
सुख पाने को पाप किया ही घना,
सुख पाने को पाप किया ही घना,
प्रभु पाने का साधन कुछ ना बना,
प्रभु पाने का साधन कुछ ना बना,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे,
बड़ी दीन दुखी हूं अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
मैंने भोगो को भोगा है एक जनम,
मैंने भोगो को भोगा है एक जनम,
मुझे भोगो ने भोगा अनेक जनम,
मुझे भोगो ने भोगा अनेक जनम,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे,
बड़ी दीन दुखी हूं अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
बहु बार या निकली है नाव तेरी,
बहु बार या निकली है नाव तेरी,
भव पार को बैठी नहीं मैं हरी,
भव पार को बैठी नहीं मैं हरी,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे,
बड़ी दीन दुखी हूं अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
अब मारो या तारो कुछ भी करो,
अब मारो या तारो कुछ भी करो,
हरी रजा करो या सजा करो,
हरी रजा करो या सजा करो,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे,
बड़ी दीन दुखी हूं अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
बड़ी दीन दुखी हूँ अनाथ महा,
यह दासी पड़ी शरणे तेरे।।
स्वर – संत श्री कमल किशोर जी नागर।
Bahut badya mere jivan me katnaiyo ka samna karne vala bhajan gurudev ko bar bar pranam