बाबोसा ये अर्जी है मैं वैसी बन जाँऊ जो तेरी मर्जी है

बाबोसा ये अर्जी है,
मैं वैसी बन जाँऊ,
जो तेरी मर्जी है।।

तर्ज – ये मेरी अर्जी है।



लफ्जो का टोटा है,

हो ज़िक्र बाबोसा का,
अश्को से होता है।।



छम छम छम बारिश है,

बाबोसा आ जाओ,
हर बूंद सिफारिश है।।



जो इतना प्यारा है,

बाबोसा हमारा है,
खुद चाँद कहे उससे,
तू चाँद हमारा है।।



बाबोसा बड़ा दयालु,

उसकी खुशबू से ही,
खुशबू में है खुशबू।।



अब और ना मन भटके,

मैं अखियन रख आई,
बाबोसा की चौखट पे।।



कहे मन दर्पण मेरा,

एक ही है ये दोनो,
बाबोसा हो या बाईसा।।



तुझ में घुल जावांगी,

तेरी भक्ति में रंग जावांगी,
तू दूर भले कितना,
मैं आके मिल जावांगी।।



‘दिलबर’ तेरी मर्जी है,

तू चरणों में जगह दे दे,
ये मेरी अर्जी है।।



बाबोसा ये अर्जी है,

मैं वैसी बन जाँऊ,
जो तेरी मर्जी है।।

गायिका – समस्ता बैनर्जी।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365


Previous articleरोवण आली दुखड़ा तेरा सुणकै जाऊंगा गोरखनाथ भजन
Next articleजिस दिन भी बाबा तेरे भजन मैं ना गाऊं
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here