बाबोसा म्हारो कसके,
पकड़ लीजो हाथ,
म्हारी विनती सुनजो नाथ,
टाबरिया री लाज,
राख लीजो जी।।
तर्ज – बन्ना म्हारो हजारी गुल।
बाबोसा म्हे तो,
टाबरिया हां बड़ा ही नादान,
म्हे तो बड़ा ही नादान,
म्हारी भूल चुक ने,
माफ कीजो जी।।
बाबोसा म्हारा,
थे ही हो मात पिता परिवार,
थे ही भक्ता रा आधार,
म्हारे साथ बाबोसा,
सदा ही रहिजो जी।।
बाबोसा म्हारा,
हिवड़े में उठे रे हिलोर,
म्हारे हिवड़े उठे हिलोर,
म्हाने एकबर दर्शन,
देई दीजो जी।।
बाबोसा म्हारी,
चिंता करजो अब तो थे ही दूर,
म्हाने दीजो सुख भरपूर,
म्हारी खुशिया सु,
झोली भर दीजो जी।।
बाबोसा थे तो,
करजो भगता पे उपकार,
‘दिलबर’ थे बड़ा दिलदार,
थे म्हाने भाव,
भक्ति दान दीजो जी।।
बाबोसा म्हारो कसके,
पकड़ लीजो हाथ,
म्हारी विनती सुनजो नाथ,
टाबरिया री लाज,
राख लीजो जी।।
गायिका – पुजा जांगिड़ राजस्थान।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365