बाबोसा का दर जग में मशहूर,
एक बार चुरू धाम जाना है जरूर,
चलो चलिये चलो द्वारे चलिये,
चलो द्वारे चलिये,
मुख पर बरसे है जिनके नूर,
प्यार लुटावे भक्तो पे भरपूर,
चलो चलिये चलो द्वारे चलिये,
चलो द्वारे चलिये,
लगता है प्यारा चुरू धाम रे,
बनते है भक्तो के जहाँ काम रे,
के जग में साँचा है दरबार,
यहाँ पर झुकता है संसार,
के आओ करले हम दीदार,
हाँ चलकर चुरू के दरबार।।
तर्ज – तेरी मेरी गल्लां हो गई।
भारत राजस्थान में चुरू,
है एक पावन धाम,
माँ छगनी का है ये दुलारा,
बाबोसा है नाम,
कोठारी कुल का है उजियारा,
चमका बनकर दिव्य सितारा,
लगता है प्यारा चुरू धाम रे,
बनते है भक्तो के जहाँ काम रे,
के जग में साँचा है दरबार,
यहाँ पर झुकता है संसार,
के आओ करले हम दीदार,
हाँ चलकर चुरू के दरबार।।
श्री बालाजी रूप में,
कलयुग के देव महान,
संकट उनके हरते पल में,
जो धरे इनका ध्यान,
सच्चे दिल से जिसने,
अर्जी लगाई,
दर पर उनकी,
हुई सुनवाई,
लगता है प्यारा चुरू धाम रे,
बनते है भक्तो के जहाँ काम रे,
के जग में साँचा है दरबार,
यहाँ पर झुकता है संसार,
के आओ करले हम दीदार,
हाँ चलकर चुरू के दरबार।।
बाबोसा का दर जग में मशहूर,
एक बार चुरू धाम जाना है जरूर,
चलो चलिये चलो द्वारे चलिये,
चलो द्वारे चलिये,
मुख पर बरसे है जिनके नूर,
प्यार लुटावे भक्तो पे भरपूर,
चलो चलिये चलो द्वारे चलिये,
चलो द्वारे चलिये,
लगता है प्यारा चुरू धाम रे,
बनते है भक्तो के जहाँ काम रे,
के जग में साँचा है दरबार,
यहाँ पर झुकता है संसार,
के आओ करले हम दीदार,
हाँ चलकर चुरू के दरबार।।
सिंगर – विजय चौहान एवम वंशिका मेहता।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन, म.प्र. 9907023365