बाबो घोड़लियो घुमावे,
घोड़ो बाबा ने घुमावे,
हम भगतो का कष्ट मिटाने,
धोरा माहि आवे।।
दर्जी ने थे पर्चो दिनों,
उनने कैद करायो,
रूपा दर्जी थाने बाबो,
हाथ जोड़ पुकारे,
घोडलिया न रामदेव जी,
आकासा उडावे।।
जोधाने मसुरिया में,
मंदिर थारो भारी,
जगा जगा रा दर्शन करने,
आवे नर और नारी,
मनसा पूर्ण करे बापजी,
भरदे झोली खाली।।
शेखावाती लागे प्यारी,
नवलगढ़ कहलावे,
नवलशीह राजा न बाबो,
छुड़ा कैद सु लावे,
नगर बिच मे देखो बाबो,
घोडलियो रुकवावे।।
ढोल नगाड़ा नौबत बाजे,
तंन्दुरा खनकावे,
जगा जगा दर्शन करने,
घणा जातरी आवे,
दास गोपालो बाबा,
थारा भजन सुनावे।।
बाबो घोड़लियो घुमावे,
घोड़ो बाबा ने घुमावे,
हम भगतो का कष्ट मिटाने,
धोरा माहि आवे।।
गायक – गोपाल सोनी रतनगढ़।
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