बाबा का दरबार लगै स री मंगल और शनिवार लिरिक्स

बाबा का दरबार लगै स री,
मंगल और शनिवार।।



बालाजी की जोत जगै स,

कटते रोग पुराणे री कटते रोग पुराणे री,
एक दरखास लगै चरणां में,
पल में बाबा आणे री पल में बाबा आणे री,
पल में रोग कटै स री,
मंगल और शनिवार।।



छोटे छोटे दो लाडु,

खाए त पेशी आवःस खाए त पेशी आवःस,
मार मार क सोटे बाबा,
घेर जोत प ल्यावः स घेर जोत प ल्यावः स,
ओपरा नहीं डटै स री,
मंगल और शनिवार।।



दरबारां जोत जगै स,

पहरे प हनुमान खड़ै पहरे प हनुमान खड़ै,
धरया लंगोटा बालाजी का,
दिखं सं भगवान खड़ै दिखं सं भगवान खड़ै,
सोये भाग जगैं सं री,
मंगल और शनिवार।।



बाले भक्त जोत प बैठे,

सिर प हाथ मुरारी का सिर प हाथ मुरारी का,
महराणे में झंडा गडरहया,
बाबा संकटहारी का बाबा संकटहारी का,
गुहणिया राम रटै स री,
मंगल और शनिवार।।



बाबा का दरबार लगै स री,

मंगल और शनिवार।।

गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार जी।
खरक जाटान(रोहतक)
9992976579


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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