बाबा आया है बाबा आया हैं,
छोड़ के अपनी खाटु नगरिया,
निर्धन की कुटिया में बाबा आया है।।
तर्ज – मैं न भूलूँगा।
सुना था मैंने ये,
दयालु खूब घणा,
जान ये आज लिया,
इनका दिल कितना बड़ा,
एक बुलावे पर आने को,
हो गया ये तैयार,
भगत की बात का मान रखा,
लीले चढ़ आया है,
बाबा आया हैं बाबा आया हैं।।
प्रभु के चरण पड़े,
मेरे घर में जैसे,
देखो न बदल गया,
नजारा ही वैसे,
टूटा फूटा कल तक था सब,
आज नया लागे,
मंदिर हो गया घर मेरा ये,
दरबार लगाया है,
बाबा आया हैं बाबा आया हैं।।
आज सुख दुनिया के,
हुए सब एक तरफ,
श्याम जो घर आएँ,
अलग है ये अनुभव,
‘कमल’ श्याम से अरज करे,
घर सबके आना बाबा,
न जाने ये किसकी अर्जी,
सुनकर आया है,
बाबा आया हैं बाबा आया हैं।।
बाबा आया है बाबा आया हैं,
छोड़ के अपनी खाटु नगरिया,
निर्धन की कुटिया में बाबा आया है।।
गायक – प्रदीप गुप्ता(पुष्प)।
रचियता – राघव गुप्ता(कमल)
प्रेषक – अनमोल गुप्ता।
8800806260