अवगुण छोड़ो भाई गुण ने पकड़ो भजन लिरिक्स

अवगुण छोड़ो भाई,
गुण ने पकड़ो।

दोहा – तीनलोक नवखंड में,
म्हारा सतगुरु राली डोर,
जिन पर हंसा ना चडे,
बिरा क्या सतगुरु का जोर।



अवगुण छोड़ो भाई,

गुण ने पकड़ो,
मिट जाई घोर अंधेरा,
हरे सब्द सूरत से तार मिलवो,
मीठ जावे जन्म रा फेरा,
रे सादू भाई केना सुन लो गुरु रा,
जो कोई केना करे गुरु रा,
हो जावे भवजल पारा रे,
साधु भाई केना सुन लो गुरु रा।।



हरे कुड़ कपट भाई,

निंद्रा ने छोड़ो,
नहीं आवे जमडा नेडा,
सतरी संगत में सेतन रेना,
अमिर्षस वर्से गेरा,
साधु भाई केना सुन लो गुरु रा।।



उंडा उंडा निर,

अतंग जल भरिया,
रे भरिया है अमृत वेरा,
सुगरा नर तो भर भर पिवे,
नुगरा रा खाली फेरा,
साधु भाई केना सुन लो गुरु रा।।



अगली पास्ली करले खबरिया रे,

क्या तेरा क्या मेरा,
कहे हेमनाथ सुनो भाई साधु,
भवजल हो जावे पारा रे,
साधु भाई केना सुन लो गुरु रा।।



अवगुण छोड़ो भाई,

गुण ने पकड़ो,
मिट जाई घोर अंधेरा,
हरे सब्द सूरत से तार मिलवो,
मीठ जावे जन्म रा फेरा,
रे सादू भाई केना सुन लो गुरु रा,
जो कोई केना करे गुरु रा,
हो जावे भवजल पारा रे,
साधु भाई केना सुन लो गुरु रा।।

– गायक एवं प्रेषक –
हाजाराम जी देवासी।
संपर्क – 8150000451


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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