अपनी तो पतंग उड़ गई रे भजन लिरिक्स

अपनी तो पतंग उड़ गई रे,
जब से तेरा दर्श मिला,
दिल ये मेरा खिला खिला,
मेरी तुम से डोर जुड़ गई है,
अपनी तो पतंग उड़ गई है।।



फासले मिटा दो आज सारे,

हो गए जी आप तो हमारे,
मन का पंछी डोल रहा,
संग मेरे बोल रहा,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।



तुम हो जान तुम हो जिंदगानी,

क्या है तेरे बिन मेरी कहानी,
मैंने तुमको जान लिया,
अपना तुमको मान लिया,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।



चरणों का बनकर पुजारी,

बीते उमरिया ये सारी,
नाम तेरा जब से लिया,
जाम तेरा जब से पिया,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।



आंखों में हो तेरा ही नजारा,

चारों तरफ दिखे श्याम प्यारा,
मुरली की तान सुनू,
मधुर मधुर गान सुनू,
मेरी डोर तुमसे जुड़ गई रे,
अपनी तो पतंग उड़ गई रे।।



अपनी तो पतंग उड़ गई रे,

जब से तेरा दर्श मिला,
दिल ये मेरा खिला-खिला,
मेरी तुम से डोर जुड़ गई है,
अपनी तो पतंग उड़ गई है।।

स्वर – चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – माही गगनेजा।
8445949402


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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