अपने आँचल की छैया में जब भी मुझे सुलाओ माँ भजन लिरिक्स

अपने आँचल की छैया में,
जब भी मुझे सुलाओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ,
रोज सवेरे जय बाबा की,
बोल के मुझे जगाओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ।।

तर्ज – ऐसा क्या जादू कर डाला।



समर भूमि में श्री कृष्ण ने,

कैसी लीला रचाई थी,
बात हुई क्या बर्बरीक ने,
अपनी जान गवाई थी,
तीन बाण की क्या शक्ति थी,
तीन बाण की क्या शक्ति थी,
मुझको जरा बताओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ।।



अहलवती के लाल ने मैया,

ऐसा कौन सा काम किया,
खुश होकर के श्री कृष्णा ने,
उनको अपना नाम दिया,
कैसा था वो लीला घोड़ा,
कैसा था वो लीला घोड़ा,
मुझको भी समझाओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ।।



कैसी है वो खाटू नगरी,

मुझको भी दिखलाओ माँ,
जिसने शीश का दान दिया है,
उसका दरश कराओ माँ,
कलयुग में क्यों प्रगट हुआ वो,
कलयुग में क्यों प्रगट हुआ वो,
मुझको जरा बताओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ।।



जैसा वचन निभाया उसने,

वैसा मैं भी निभाउंगा,
तेरी शिक्षा पाकर मैया,
जग में नाम कमाऊंगा,
‘श्याम’ कहे मुझे श्याम प्रभु की,
‘श्याम’ कहे मुझे श्याम प्रभु की,
सेवा में लगवाओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ।।



अपने आँचल की छैया में,

जब भी मुझे सुलाओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ,
रोज सवेरे जय बाबा की,
बोल के मुझे जगाओ माँ,
तुम लोरी की जगह श्याम की,
पावन कथा सुनाओ माँ।।

स्वर – राजू मेहरा जी।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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