अपने आँचल की छैय्या में हमको बिठाओ बाईसा

अपने आँचल की छैय्या में,
हमको बिठाओ बाईसा,
रोज सवेरे बाबोसा की,
कथा सुनाओ बाईसा।।

तर्ज – सगला ठाट अटे रह जासी।



आंखो के पर्दे खुलते ही,

बाबोसा के दर्शन हो,
देखके उनकी प्यारी सूरत,
श्री चरणों मे वंदन हो,
एकबार उस दिव्य स्वरूप के,
दर्श कराओ बाईसा,
रोज सवेरे बाबोसा की,
कथा सुनाओ बाईसा।।



बाबोसा की भक्ति मिले,

हम यही कामना करते है,
कलयुग अवतारी बाबोसा का,
ध्यान सदा हम धरते है,
चूरू में कैसे धाम बना,
हमको बताओ बाईसा,
रोज सवेरे बाबोसा की,
कथा सुनाओ बाईसा।।



अमृतमय इस कथा को सुनकर,

जीवन धन्य हो जायेगा,
माँ छगनी का नंदन भक्तो,
स्वर्ग लोक से आयेगा ‘दिलबर’,
जिनके दिल मे बाबोसा,
वो हमारे बाईसा,
रोज सवेरे बाबोसा की,
कथा सुनाओ बाईसा।।



अपने आँचल की छैय्या में,

हमको बिठाओ बाईसा,
रोज सवेरे बाबोसा की,
कथा सुनाओ बाईसा।।

गायिका – पुजा जांगिड़ राजस्थान।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365


Previous articleनाम तेरो भूल गयो भगवान तेरे गोरख धंधे में लिरिक्स
Next articleश्याम का जन्मदिन है के आया बड़ा शुभ दिन है
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here