अंतिम क्षणों में कान्हा,
राधा के साथ आना,
तन छोड़ने से पहले,
तन छोड़ने से पहले,
दर्शन मुझे दिखाना,
अंतिम क्षणो में कान्हा,
राधा के साथ आना।।
तर्ज – तुझे भूलना तो चाहा।
नैनो में हो छवि तेरी,
होंठों पे नाम तेरा,
कानो में गूँजे मुरली,
आए जब अंत मेरा,
उस वक़्त मेरे मन से,
उस वक़्त मेरे मन से,
विषयों को तुम हटाना,
अंतिम क्षणो में कान्हा,
राधा के साथ आना।।
जब आत्मा का पंछी,
पिंजरे में फड़फड़ाए,
परमात्मा मिलन की,
चाहत में छटपटाए,
मेरे चित को माया मोह के,
मेरे चित को माया मोह के,
फंदे से तुम छुड़ाना,
अंतिम क्षणो में कान्हा,
राधा के साथ आना।।
गीता के श्लोक सुनकर,
प्राणो का विसर्जन हो,
तुलसी की पत्तियों से,
अंतिम घड़ी सुगम हो,
मिले मुक्ति मुझको मोहन,
मिले मुक्ति मुझको मोहन,
तुम गंगा जल पिलाना,
अंतिम क्षणो में कान्हा,
राधा के साथ आना।।
मुझे बाँधने को माधव,
यमराज ना पधारें,
मेरे प्राण तुझ में रम के,
गौ लोक को सिधारें
मेरे पार्थिव तन को,
मेरे पार्थिव तन को,
अग्नि तुम्ही दिखाना,
अंतिम क्षणो में कान्हा,
राधा के साथ आना।।
तूने ही इस ‘मनुज’ को,
जीवन की दी है शिक्षा,
तेरी गोद में मरण हो,
अंतिम यही है इच्छा,
देखूँगी रास्ता मैं,
देखूँगी रास्ता मैं,
मुझको ना भूल जाना,
अंतिम क्षणो में कान्हा,
राधा के साथ आना।।
अंतिम क्षणों में कान्हा,
राधा के साथ आना,
तन छोड़ने से पहले,
तन छोड़ने से पहले,
दर्शन मुझे दिखाना,
अंतिम क्षणो में कान्हा,
राधा के साथ आना।।
स्वर – कंचन तनेजा।