अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये,
बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये।।
मैंने सोने का टीका बनवाया,
मेरी मय्या को पसन्द नहीं आया,
उसे फूलों का टीका पसन्द आया,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये।।
मैंने सोने के कंगन बनवाये,
मय्या को पसन्द नहीं आये,
उसे फूलों के कंगन पसन्द आये,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये।।
मैंने सोने का हार बनवाया,
मइया को पसन्द नहीं आया,
उसे फूलों का हार पसन्द आया,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये।।
मैंने सोने की तगड़ी बनवायी,
मइया को पसन्द नहीं आयी,
उसे तो फूलों की तगड़ी पसन्द आयी,
अम्बे कहा जाए जगदम्बे कहा जाए,
बोल मेरी माता तुझे क्या कहा जाये।।
अम्बे कहा जाये जगदम्बे कहा जाये,
बोल मेरी मैया तुझे क्या कहा जाये।।
गायक – वैभव बागमार बालोतरा।