अमरलोक से चली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा,
आओ म्हारी माता,
आओ म्हारी जरणी,
इण गत निन्द्रा त्यागी।।
कोण तुम्हारा बण्या घाघरा,
कोण तुम्हारा चीर,
वो कोण तुम्हारा बण्या कांचला,
कोण तुम्हारा वीर हो जी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
धरती हमारा बण्या घाघरा,
अम्बर म्हारो चीर है,
चांद सुरज दोई बण्या कांचला,
सन्त हमारा वीर है हो जी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
कोण तुम्हारी बहन भानजी,
कोन तुम्हारी माता है,
कौन तुम्हारे संग रमे भाई,
कोन करे दो बाता हो जी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
पवन हमारी बहन भानजी,
धरती हमारी माता है,
धुणा हमारे संग रमे भाई,
रैण करे दो वाता,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
कौन दिया थाने दण्ड कमंडल,
कौन दिनी जलजारी वो,
कौन दिया थाने भगवा वस्त्र तुम,
कैसे हुआ ब्रम्हाचारी वो,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
शिवजी दिया म्हाने दण्ड कमंडल,
ब्रम्हा दिनी जलजारी ये,
गंवरी दिया म्हाने कपड़ा,
हम ऐसे हुआ ब्रम्हाचारी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
थाने बांध थारा गुरूजी ने बांधु,
बांधु कंचन काया,
मुं शैली सिंग थारी मुद्रा ने बांधु,
जोग कठां सू लाया है हो जी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
म्हाने खोल म्हारा गुरुजी ने खोला,
खोला कंचन काया ने शैली,
सिंग म्हारी मुद्रा ने खोलु,
जोग अलख से लाया हैं हो जी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
उठे तो मांरू बैठे तो मांरु,
मांरु जागता सुतां ने,
तीन लोक में भांग पसारू,
कठे जावे अवधुता,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
उठत सिवंरु बैठत सिवंरु,
सिवंरु जागत सुतां ने,
तीन लोक से ञारा खेलुं,
मैं गौरख अवधुता हो जी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
जागो रे मछंदरजी का पूता,
गौरख जागे जग सुतां,
अरे शरण मछंदर गौरख बोले,
अरे हारी माइने बाबा जीता हो जी,
अमरलोक से चाली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा।।
अमरलोक से चली भवानी माँ,
गोरख छलवा आई सा,
आओ म्हारी माता,
आओ म्हारी जरणी,
इण गत निन्द्रा त्यागी।।
गायक – हेमनाथ जी योगी।
प्रेषक – देवीलाल प्रजापत।
7878894567