अजब है भोलेनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा,
भूत प्रेत नित करे चाकरी,
सबका यहाँ गुज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा।।
बाघ बैल को हरदम,
एक जगह पर राखे,
कभी ना एक दूजे को,
बुरी नज़र से ताके,
कही और नही देखा हमने,
ऐसा गजब नज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा।।
गणपति राखे चूहा,
कभी सर्प नही छुआ,
भोले सर्प लटकाए,
कार्तिक मोर नचाए,
आज का कानून नही है तेरा,
अनुशाशित है सारे,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा।।
अजब है भोलेनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा,
भूत प्रेत नित करे चाकरी,
सबका यहाँ गुज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा।।
Singer – Dhiraj Kant
बहुत अच्छा ही अच्छा भजन है
सुन कर तन मन सब धन्य हो गया
धीरज भाई को हम शुभम गोस्वामी का नमस्कार है
धन्यवाद आपका धीरज जी
This bhajan is very very good I liked it very very much thank for sharing it ????