अब के फागुन में,
होली खेलन खाटू जाएंगे,
चाहे कुछ भी हो जाए सांवरे,
हम ना रुक पाएंगे,
अब के फागुण में,
होली खेलन खाटू जाएंगे।।
तर्ज – दिल दीवाने का डोला।
दिल में है बेकरारी,
मन उड़ता उड़ता जाए,
करवट पे करवट बदलूँ,
ना चैन घड़ी इक आए,
इक पल की भी अब देरी,
हम सह नहीं पाएंगे,
अब के फागुण में,
होली खेलन खाटू जाएंगे।।
अब क्यों ऐसा लगता है,
के जैसे कोई बुलाए,
अंतर्मन है व्याकुल सा,
हिचकी पे हिचकी आए,
बाबा ने याद किया है,
हम ना रुक पाएंगे,
अब के फागुण में,
होली खेलन खाटू जाएंगे।।
जिसको पूछे वो कहता,
हम तो है श्याम दीवाने,
बस झूमे हाँ झूमे है,
मस्ती में हो मस्ताने,
जो कदम उठे है ‘योगी’,
वो ना रुक पाएंगे,
अब के फागुण में,
होली खेलन खाटू जाएंगे।।
अब के फागुन में,
होली खेलन खाटू जाएंगे,
चाहे कुछ भी हो जाए सांवरे,
हम ना रुक पाएंगे,
अब के फागुण में,
होली खेलन खाटू जाएंगे।।
प्रेषक – मनीष गोयल।
स्वर – सोनी निगम।