अब जमुना तट पर मनमोहन,
क्यों रास रचाना भूल गये,
सखियाँ माखन ले आई है,
क्यों माखन खाना भूल गये।।
हम तरस रहे तेरे दर्शन को,
कब दर्शन दोगे साँवरिया,
मुझे जबसे लगी है तेरी लगन,
मैं हो गई रे बाँवरिया,
वो मोर मुकुट और बांकी अदा,
क्यो मुरली बजाना भूल गये,
अब जमना तट पर मनमोहन,
क्यों रास रचाना भूल गये,
सखियाँ माखन ले आई है,
क्यो माखन खाना भूल गये।।
गईयाँ भी रो रो याद करे,
हरदम अपने गोपाला को,
बावरी गोपियाँ वन वन डोले,
ढूंढे अपने नंद लाला को,
ग्वालो के संग अब मधुबन में,
क्यों धेनु चराना भूल गये,
अब जमना तट पर मनमोहन,
क्यों रास रचाना भूल गये,
सखियाँ माखन ले आई है,
क्यो माखन खाना भूल गये।।
फागुण का महीना और होली,
हमको तेरी याद दिलाती है,
रंगो से भरा तेरा चेहरा,
हम सबको बड़ा लुभाती है,
केसर से भरी तेरी पिचकारी,
क्यो रंग लगाना भूल गये,
अब जमना तट पर मनमोहन,
क्यों रास रचाना भूल गये,
सखियाँ माखन ले आई है,
क्यो माखन खाना भूल गये।।
तुम भक्तों के और भगत तेरे,
भक्तों की विनती तेरे लिए,
स्वीकार करो हे मधुसूदन,
ये कीर्तन रचाया तेरे लिए,
हे सुख सागर नटवर नागर,
क्यों बिगड़ी बनाना भूल गये,
अब जमना तट पर मनमोहन,
क्यों रास रचाना भूल गये,
सखियाँ माखन ले आई है,
क्यो माखन खाना भूल गये।।
अब जमुना तट पर मनमोहन,
क्यों रास रचाना भूल गये,
सखियाँ माखन ले आई है,
क्यो माखन खाना भूल गये।।
Singer – Vyas Ji Mourya