आई ग्यारस की फिर रात है,
आ रही श्याम की याद है,
जल्दी अपना मिलन हो प्रभु,
सारे भक्तों की फरियाद है,
आयी ग्यारस की फिर रात है।।
तर्ज – ये तो सच है की भगवान।
दिल के जज्बात भी,
अब सँभलते नहीं,
आंसू भी आँख से,
मेरे रुकते नहीं,
क्यों नहीं तू समझ पा रहा,
श्याम दिल के जो हालात है,
जल्दी अपना मिलन हो प्रभु,
सारे भक्तों की फरियाद है,
आयी ग्यारस की फिर रात है।।
ढोक खाए बिना,
चैन अब ना मिले,
मेरी चाहत यही,
तेरा दर्शन मिले,
आ रहे याद प्रेमी तेरे,
कही भजनों की बरसात है,
जल्दी अपना मिलन हो प्रभु,
सारे भक्तों की फरियाद है,
आयी ग्यारस की फिर रात है।।
धीर अब ना मुझे,
कुछ तो बाबा करो,
आए खाटू सभी,
सारी पीड़ा हरो,
‘स्नेह’ की दिल से अरदास है,
तेरे चरणों में दिन रात है,
जल्दी अपना मिलन हो प्रभु,
सारे भक्तों की फरियाद है,
आयी ग्यारस की फिर रात है।।
आई ग्यारस की फिर रात है,
आ रही श्याम की याद है,
जल्दी अपना मिलन हो प्रभु,
सारे भक्तों की फरियाद है,
आयी ग्यारस की फिर रात है।।
गायक – मुकेश बागड़ा जी।
लेखक – अमित बंसल जी ‘स्नेह’