आप गुरूजी त्यारोला म्हारो अवगुण भरीयो शरीर

आप गुरूजी त्यारोला,
म्हारो अवगुण भरीयो शरीर।।



ज्ञान नहीं जानू ध्यान आपको,

माफ करो तकसीर,
ज्ञानी भगत जन भक्ति उपावे,
कर कर कष्ट शरीर,
आप गुरूसा त्यारोला,
म्हारो अवगुण भरीयो शरीर।।



अगम अगोचर महिमा सूनी,

म्हारे लागी प्रेम की पीड़,
अर्जी सुनो गुरु म्हारी विनती,
दिल में बंधाओ धीर,
आप गुरूसा त्यारोला,
म्हारो अवगुण भरीयो शरीर।।



भवसागर की अनंत लहरा,

तृष्णा भंवर गंभीर,
काम क्रोध मद लोभ मोह में,
लिपट डिबोयो शरीर,
आप गुरूसा त्यारोला,
म्हारो अवगुण भरीयो शरीर।।



बहुसागर में किश्ती झूल रही,

खेवटयो है पीर,
गउचर वंशी गुरु हीरानंद ध्यावे,
आप लगाओ तीर,
आप गुरूसा त्यारोला,
म्हारो अवगुण भरीयो शरीर।।



आप गुरूजी त्यारोला,

म्हारो अवगुण भरीयो शरीर।।

गायक / प्रेषक – रोहित प्रजापत।
9829464693


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

1 COMMENT

  1. वाह रोहित जी बहुत सुन्‍दर भजन

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