आना जी आना,
सब मिलकर के आना,
माता के चरणों में,
शीश झुकाना।।
तर्ज – परदेसियों से ना।
मांगी है मन्नत जिसने,
जो भी यहां से,
खाली गया ना मां,
सृष्टि के यहां से,
है यह हकीकत नहीं,
कोई फसाना,
आना जीं आना,
सब मिलकर के आना।।
निर्बल को मां,
शक्ति देती,
भक्त जनों को मां,
भक्ति देती,
मां की शक्ति को,
ना आजमाना,
आना जीं आना,
सब मिलकर के आना।।
कपूरदा धाम है,
सबसे निराला,
आए यहां कोई,
किस्तम वाला,
मिलता है मां के दर पे,
ख़ुशी का खजाना,
आना जीं आना,
सब मिलकर के आना।।
आना जी आना,
सब मिलकर के आना,
माता के चरणों में,
शीश झुकाना।।
लेखक / प्रेषक – शिव नारायण वर्मा।
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