आलूसिंहजी जहाँ होंगे,
मेरे श्याम वहाँ होंगे,
दोनों जहाँ होंगे,
वहाँ उद्धार करेंगे,
हर काम करेंगे।।
तर्ज – जब हम जवां होंगे।
आलूसिंहजी को जो भी,
शीश नवाएगा,
श्याम को अपने,
करीब वो पाएगा,
भक्त की भक्ति से,
तुम्हें भगवान मिलेंगे,
उद्धार करेंगे,
आलूसिंहजी जहां होंगे,
मेरे श्याम वहाँ होंगे।।
सच्चा मेरे बाबा,
का दरबार है,
सुनता ह्रदय की,
करूण पुकार है,
भावों को जगा फिर,
बाबा से तार जुड़ेंगे,
उद्धार करेंगे,
आलूसिंहजी जहां होंगे,
मेरे श्याम वहाँ होंगे।।
संकट से तू क्यू,
इतना घबराता है,
मोरछड़ी वाले से,
तेरा नाता है,
तेरे दिल के पूरे सारे,
अरमान करेंगे,
उद्धार करेंगे,
आलूसिंहजी जहां होंगे,
मेरे श्याम वहाँ होंगे।।
श्याम नाम की ज्योत,
जगा के देख ले,
भाव से तू इनको,
रिझा के देख ले,
ये ‘श्याम’ कहे के श्याम तुम्हें,
हर बार मिलेंगे,
उद्धार करेंगे,
आलूसिंहजी जहां होंगे,
मेरे श्याम वहाँ होंगे।।
आलूसिंहजी जहाँ होंगे,
मेरे श्याम वहाँ होंगे,
दोनों जहाँ होंगे,
वहाँ उद्धार करेंगे,
हर काम करेंगे।।
स्वर – श्री श्याम सिंह जी चौहान।