आजा माखन,
मैं अब खिलाऊँ तुझे,
तेरे चेहरे में बहुत,
दिखता है जादू मुझे,
आजां माखन,
मैं अब खिलाऊँ तुझे।।
तर्ज – दिल का आलम।
तेरे मस्तक पे मोर का पच्छा,
तेरे होंठों की ऐसी लाली है,
बाल घुंघराले काले हैं तेरे,
जैसे बादल की घटा काली है,
तू तो इस दुनिया का एक माली है,
आजां माखन,
मैं अब खिलाऊँ तुझे।।
तेरे कंधे पर पीला है पटका,
चाल तेरी हुई मतवाली है,
तेरे होंठों पे मन मोहक मुरली,
नींद जिसने सबकी चुरा ली है,
तेरी ये झांकी ही मतवाली है,
आजां माखन,
मैं अब खिलाऊँ तुझे।।
आजा माखन,
मैं अब खिलाऊँ तुझे,
तेरे चेहरे में बहुत,
दिखता है जादू मुझे,
आजां माखन,
मैं अब खिलाऊँ तुझे।।
– गायक एवं प्रेषक –
राम मनोहर जी दुबे।
8700603792