आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
हारे ये नैनो के तार,
ओझल नजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है।।
फितरत ज़माने की,
बड़ी ही बेगैरत है,
कोई नही यार,
तू ही हमारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है।।
जाऊं किस डगर पे मुझको,
नसीहत तो दीजिए,
छाया है अंधकार,
करना उजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है।।
रहमत की अपनी थोड़ी,
वसीयत तो कीजिये,
कहलाते दातार,
भरा भंडारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है।।
‘निर्मल’ की रूह से तो,
पूछ करके देखिए,
दूजा मिले ना सार,
श्याम ही गवारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है।।
आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
हारे ये नैनो के तार,
ओझल नजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है।।
गायक – संजय मित्तल जी।