रामा रामा रटते रटते,
बीती रे उमरिया,
रघुकुल नंदन कब आओगे,
भिलनी की डगरिया,
रामा रामा रटतें रटते,
बीती रे उमरिया।।
तर्ज – नगरी नगरी द्वारे द्वारे।
मैं शबरी भिलनी की जाई,
भजन भाव नहीं जानु रे,
राम तुम्हारे दर्शन के हित,
वन में जीवन पालूं रे,
चरण कमल से निर्मल कर दो,
दासी की झोपड़िया,
रामा रामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
रोज सवेरे वन में जाकर,
रस्ता साफ़ मैं करती हूँ,
अपने प्रभु के खातिर वन से,
चुन चुन के फल लाती हूँ,
मीठे मीठे बेरन की मैं,
भर लाई छबरिया,
रामा रामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
सुन्दर श्याम सलोनी सुरत,
नैना बिच बसाऊंगी,
पद पंकज रज धर मस्तक में,
चरणों में शीश नवाउंगी,
प्रभु जी मुझको भूल गए,
लो दासी की ख़बरिया,
रामा रामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
रामा रामा रटते रटते,
बीती रे उमरिया,
रघुकुल नंदन कब आओगे,
भिलनी की डगरिया,
रामा रामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
अति सुन्दर भजन है
सुंदर अति सुन्दर
Ati sundar
बहुत बढ़िया
1 NUMBER
जय श्री राम ☺️??️??
अति सुंदर भजन
श्री सिद्ध गुफा सवाई धाम की जय