श्याम सुधा रस जिसको,
पीना आ जाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।।
तर्ज – सावन का महीना।
जिसकी लगन लगी,
श्याम पिया से,
क्या क्या मिला है पूछो,
उसके जिया से,
सारे जग की खुशियां,
वो तो पा जाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।
श्याम सूधा रस जिसको,
पीना आ जाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।।
भर भर के पिए प्याला,
जो भी श्याम नाम का,
उसको सुहाना लागे,
रूप घनश्याम का,
दुनिया का नजारा,
उसको नहीं भाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।
श्याम सूधा रस जिसको,
पीना आ जाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।।
चिंतन प्रभु का करता,
रहता मगन है,
श्याम को समर्पित उसका,
सारा ही जीवन है,
हर हालत में देखो,
वो तो मुस्काता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।
श्याम सूधा रस जिसको,
पीना आ जाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।।
चख के देखो कैसा,
स्वाद है निराला,
रख ले जुबा पे ‘बिन्नू’,
हो जा मतवाला,
अपने ही हाथो से,
इसे श्याम पिलाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।
श्याम सूधा रस जिसको,
पीना आ जाता है,
सुनो साथियों उसको,
जीना आ जाता है।।