शिवरात्रि का पावन,
त्यौहार जब आता है,
ये सारा जग शिव का,
मंदिर बन जाता है,
हर कोई शिव शिव गाता है,
ध्यान भोले का लगाता है।।
शिव भक्त हर एक मंदिर,
फूलों से सजाते है,
गा गा के भजन शिव के,
ये रात बिताते है,
उस जगत पिता शिव से,
सबका ही नाता है,
ये सारा जग शिव का,
मंदिर बन जाता है,
हर कोई शिव शिव गाता है,
ध्यान भोले का लगाता है।।
शिव पिंडी की पूजा,
सब प्रेम से करते है,
श्री चरणों पे शिव के,
सब माथा धरते है,
कोई लाए गंगाजल,
कोई पुष्प चढ़ाता है,
ये सारा जग शिव का,
मंदिर बन जाता है,
हर कोई शिव शिव गाता है,
ध्यान भोले का लगाता है।।
शिवरात की महिमा तो,
वेदों ने भी गाई है,
इस दिन बारात शिव की,
गौरा घर आई है,
ये दास ‘पवन’ सच्ची,
बात बताता है,
ये सारा जग शिव का,
मंदिर बन जाता है,
हर कोई शिव शिव गाता है,
ध्यान भोले का लगाता है।।
शिवरात्रि का पावन,
त्यौहार जब आता है,
ये सारा जग शिव का,
मंदिर बन जाता है,
हर कोई शिव शिव गाता है,
ध्यान भोले का लगाता है।।