बनड़ो सो लागे रे सज धज के म्हारो साँवरो भजन लिरिक्स

बनड़ो सो लागे रे,
सज धज के म्हारो साँवरो,
बनड़ो सो बनड़ो सो,
बनड़ो सो लागै आज,
सज धज के म्हारो साँवरो।।

तर्ज – झुमका गिरा रे।



मोर पांखडी मुकुट में सोहे,

मोहे कुण्डल प्यारा,
माथे चंदन टीका सोहे,
काजल का लश्कारा,
सोणी सूरत देखले जो भी,
वो तो दिल है हारा,
मोटे मोटे नैनण का है,
दीवाना जग सारा,
हाय दीवाना जग सारा,
बनड़ो सो लागै आज,
सज धज के म्हारो साँवरो।।



हीरों का है हार चमकता,

मोरछड़ी इतरावै,
घड़ी-घड़ी में साँवरिया भी,
रंग कई दिखलावै,
ऐसा सुन्दर रूप देखके,
चन्दा भी शरमावै,
प्रेमी जो भी खाटू आवै,
देख छवि लुट जावै,
हाय देख छवि लुट जावै,
बनड़ो सो लागै आज,
सज धज के म्हारो साँवरो।।



होठा री मुस्कान गजब है,

चितवन जादूगारी,
गजरां रो सिणगार सुहाणो,
लड़ियां लटकै प्यारी,
बागा है पचरंगी श्याम का,
फूलां री फुलवारी,
इत्तर की खुशबू से महके,
श्याम नगरिया सारी,
अरे श्याम नगरिया सारी,
बनड़ो सो लागै आज,
सज धज के म्हारो साँवरो।।



अरे देखो देखो बाबो म्हारो,

मंद मंद मुस्कावै,
श्याम सलूणो बांकी अदा से,
म्हारो चैन चुरावै,
‘रजनी’ के जब नैण मिले तो,
दिल फिसला ही जावै,
‘चोखानी’ बलिहार साँवरो,
प्रेम सुधा बरसावै,
हाय प्रेम सुधा बरसावै,
बनड़ो सो लागै आज,
सज धज के म्हारो साँवरो।।



बनड़ो सो लागे रे,

सज धज के म्हारो साँवरो,
बनड़ो सो बनड़ो सो,
बनड़ो सो लागै आज,
सज धज के म्हारो साँवरो।।

भजन लेखक
श्री प्रमोद चौखानी
भजन गायिका
रजनी राजस्थानी


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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