मैं तेरे प्यार में,
ऐसा डूबा प्रभु,
जितना गहरा गया,
उतना पास आ गया,
डूबकर भावों में,
मैं जहाँ भी गया,
सब कहते है की,
तेरा दास आ गया,
मैं तेरे प्यार में,
ऐसा डूबा प्रभु,
जितना गहरा गया,
उतना पास आ गया।।
तर्ज – मैं तेरे इश्क़ में।
जो किनारे पे है वो,
तुमसे दूर है,
डूबने वालों को ये गुरुर है,
जानता है वो ये,
छोड़ेगा ना तू उसे,
चाहे जितनी डराए,
लहरे ये उसे,
बिच मजधार में,
रहना रास आ गया,
मैं तेरे प्यार मे,
ऐसा डूबा प्रभु,
जितना गहरा गया,
उतना पास आ गया।।
सुख दुःख क्या है,
लहरे ये बताती है,
कभी आती है और,
कभी जाती है,
मोती गर चाहिए,
डूब कर देख ले,
ढूंढता फिर रहा जो,
लहरों में उसे,
सच कहता हूँ वो तो,
निराश आ गया,
मैं तेरे प्यार मे,
ऐसा डूबा प्रभु,
जितना गहरा गया,
उतना पास आ गया।।
ये समुन्दर है क्या,
करना गौर है,
बाहर कुछ और अंदर से,
कुछ और है,
डूबने का है शौक,
प्रभु श्याम को तेरे,
डूब करके पुकारा,
उसने जो तुझे,
बनके मालिक तू,
जीवन में खास आ गया,
मैं तेरे प्यार मे,
ऐसा डूबा प्रभु,
जितना गहरा गया,
उतना पास आ गया।।
मैं तेरे प्यार में,
ऐसा डूबा प्रभु,
जितना गहरा गया,
उतना पास आ गया,
डूबकर भावों में,
मैं जहाँ भी गया,
सब कहते है की,
तेरा दास आ गया,
मैं तेरे प्यार मे,
ऐसा डूबा प्रभु,
जितना गहरा गया,
उतना पास आ गया।।