मैं वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी।।
रूप तेरा वंडरफुल है,
दरबार तेरा हाउस फुल है,
क्यों की तू बड़ा पावर फूल है।
मैं वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
बलिहारी जाऊँ,
सूरत पे थारे गिरधारी जी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी।।
मीरा के मन में,
तुम हो समाये,
जोगन बन के वो,
गलियों मे गाए,
दीवानी, दीवानी, दीवानी,
प्रेम के मारी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
बलिहारी जाऊँ,
सूरत पे थारे गिरधारी जी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी रे मुरारी जी।।
धन्ना भगत के,
डांगर चराए,
भक्तो के खातिर श्याम,
कष्ट उठाए,
ओ लीला, हाँ लीला, हाँ लीला,
थारी न्यारी रे,
मैं वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
बलिहारी जाऊँ,
सूरत पे थारे गिरधारी जी,
मैं वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी।।
रोई सभा में जब,
द्रोपदी नारी,
नंगे नंगे पैरो दौड़े,
तुम ही मुरारी,
और खुद ही,तुम खुद ही,हाँ खुद ही,
बन गाये साड़ी रे,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
बलिहारी जाऊँ,
सूरत पे थारे गिरधारी जी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी।।
नरसी भगत को,
तार दिया है,
करमा बाई को तूने,
प्यार दिया है,
और अब है,और अब है,अब है,
‘लख्खा’ की बारी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
बलिहारी जाऊँ,
सूरत पे थारे गिरधारी जी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी।।
मैं वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी,
बलिहारी जाऊँ,
सूरत पे थारे गिरधारी जी,
मै वारी जाऊँ,
सूरत पे थारी गिरधारी जी।।