बाबा जी तेरे भगवे अन्दर,
इसा कौण सा लाग्या सैन्ट,
जो भी तेरे दर पै आवै,
भगत बणै तेरा परमानैन्ट।।
सुगंध अनोखी तेरे भगवें की,
तीन लोक मोहित करती,
पारस जैसी चमक है इसमै,
चमकै अंबर और धरती,
भगवा ध्वजा लहरावै हिंद म,
मंदिर हो या फौजी कैंट,
जो भी तेरे दर पै आवै,
भगत बणै तेरा परमानैन्ट।।
सिद्ध 84 नवनाथ भी,
भगवा पहर कै बणे महान,
मस्त नाथ नै भगवां पहरया,
दर्शन देगे शिव भगवान,
भगमे आगै झुकै सृष्टि,
याणे स्याणे लेडिस जेंट्स,
जो भी तेरे दर पै आवै,
भगत बणै तेरा परमानैन्ट।।
साधूआं के भगमें ऊपर,
दाग मिलै ना कण भर का,
भगवाधारी इस पृथ्वी पै,
रूप परम पिता ईश्वर का,
वेद पुराण में बात यैं सारी,
लिखी ऋषियों ने 100 परसेन्ट,
जो भी तेरे दर पै आवै,
भगत बणै तेरा परमानैन्ट।।
भंवरलाल न भगवा पूज कै,
सुकर्म के लिए पेड़ लगा,
गजेंद्र स्वामी के हृदय में,
ज्ञान की ज्योति दिए जगा,
जनम जनम तक लक्की गेल्यां,
भक्ति का लिखो एग्रीमेंट,
जो भी तेरे दर पै आवै,
भगत बणै तेरा परमानैन्ट।।
बाबा जी तेरे भगवे अन्दर,
इसा कौण सा लाग्या सैन्ट,
जो भी तेरे दर पै आवै,
भगत बणै तेरा परमानैन्ट।।
Writer / Uplaod – Gajender Swami Kurlan
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