सुख दुख तो आणे जाणे सै,
दूर कदे तू मत जाइए,
हाथ दया का गोरख बाबा,
सर ऊपर तै मत उठाइए।।
तर्ज – एक था गुल और।
भक्ति का मनै ज्ञान नही,
मैं तेरे नाम का दीवाना हूंँ,
ओम शिव गोरख ओम शिव गोरख,
रट-रट होया मस्ताना हूँ,
तेरी मस्ती में अंग अंग झूमै,
रग रग में तू रम जाइए,
सुख दुःख तो आणे जाणे सैं,
दूर कदे तू मत जाइए।।
मेरी किस्मत के ताले की,
तू चाबी एक बणा बाबा,
प्यार तेरा जमकै बरसण दे,
तेरे बेटे पै घणा बाबा,
संकट आण तै पहल्याँ घर म्ह,
बाबा मेरे तू खड़ा पाईए,
सुख दुःख तो आणे जाणे सैं,
दूर कदे तू मत जाइए।।
इतनी कृपा कर दे बाबा,
दूर रहूं मैं बुराई तै,
बेसहारा का बणकै सहारा,
जीऊँ शर्म सच्चाई तै,
दो हाथों की मेरी कमाई,
बरकत तेरी दिखाइए,
सुख दुःख तो आणे जाणे सैं,
दूर कदे तू मत जाइए।।
गजेन्द्र स्वामी की या विनती,
इसतै ज्यादा के बोलूं,
भंवर लाल तेरे दर ले आया,
सेवा में तेरी डोलूं,
भीड़ पड़ी में साथी बणकै,
हरदम साथ निभाइए,
सुख दुःख तो आणे जाणे सैं,
दूर कदे तू मत जाइए।।
सुख दुख तो आणे जाणे सै,
दूर कदे तू मत जाइए,
हाथ दया का गोरख बाबा,
सर ऊपर तै मत उठाइए।।
लेखक / प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660
गायक – लक्की पीचौलीया।