छींद को दादा अलबेला लगे मंगल को मेला

छींद को दादा अलबेला,
लगे मंगल को मेला।।



कोई कहे बजरंगी आला,

कोई कहे अंजनी के लाला
राम को भगत अकेला,
लगे मंगल को मेला।।



रावण पूंछ में आग लगाई,

तुमने उसकी लंका जलाई,
खेल अजब तुमने खेला,
लगे मंगल को मेला।।



सीता राम लखन मन लाई,

तुमने छाती फाड़ दिखाई,
कौन गुरु कौन चेला,
लगे मंगल को मेला।।



छींद गांव की महिमा न्यारी,

मेला भरत दशहरा पे भारी,
भक्तों की रेलम रेला,
लगे मंगल को मेला।।



बजरंग के गुण गाओ प्राणी,

‘पदम’ यूं कह गये ज्ञानी ध्यानी,
जग है झूठा झमेला,
लगे मंगल को मेला।।



छींद को दादा अलबेला,

लगे मंगल को मेला।।

Writer – Dalchand Kushwah ‘Padam’
9993786852


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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