लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो भजन लिरिक्स

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है।।



स्वर्ग सम्राट हो या हो चाकर,

तेरे दर पे है दर्ज़ा बराबर,
तेरी हस्ती को हो जिसने जाना,
कोई आलम में आखिर नहीं है।।



दर बदर खाके ठोकर जो थककर,

आ गया गर कोई तेरे दर पर, 
तूने नज़रों से जो रस पिलाया,
वो बताने के काबिल नहीं है।।



जीते मरते जो तेरी लगन में,

जलते रहते विरह कि अगन में, 
है भरोसा तेरा हे मुरारी,
तू दयालु है कातिल नहीं है।।



तेरा रस्ता लगा चस्का जिसको,

लगता बैकुण्ठ फीका सा उसको, 
डूब कर कोई बाहर ना आया,
इस में भवरे है साहिल नहीं है।।



कर्म है उनकी निष्काम सेवा,

धर्म है उनकी इच्छा में इच्छा, 
सौंप दो इनके हाथों में डोरी,
यह कृपालु हैं तंग दिल नहीं हैं।।



लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,

तेरी महफिल सी महफिल नहीं है।।

स्वर – अनुराधा जी पौडवाल।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

1 COMMENT

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