बजरंगबली जिसने,
तेरा नाम पुकारा है।
दोहा – बूटी संजीवन ना लाते,
लक्ष्मण जी प्राण गंवाते,
सीता भी ना मिल पाती,
और लंका भी ना जल पाती।
बल में बलवान ना होते,
लिए गदा महान ना होते,
तो विजयी श्रीराम ना होते,
अगर हनुमान ना होते।
बजरंगबली जिसने,
तेरा नाम पुकारा है,
तूने तूने उस प्राणी का,
हर काम संवारा है,
बजरंग बलि जिसने,
तेरा नाम पुकारा है,
तूने तूने उस प्राणी का,
बाबा काम संवारा है।।
लक्ष्मण के शक्ति लगी,
मूर्छित हो कर वो पड़े,
दुविधाओं के वश में,
तब प्रभु श्री राम पड़े,
मेरे प्रभु श्री राम पड़े,
संजीवन लाने को,
तेरा नाम पुकारा है,
तूने तूने उस प्राणी का,
बाबा काम संवारा है।।
कृष्ण और अर्जुन के संग,
कुरुक्षेत्र सजाया था,
अपने बल पौरुष से,
उस रथ को बचाया था,
फिर श्याम ने भी तुमको,
माना रखवाला है,
तूने तूने उस प्राणी का,
बाबा काम संवारा है।।
यश वैभव ना चाहे,
तुमसे ओ बजरंगी,
तुझमे ही रम जाए,
मेरा मन ये बहुरंगी,
सब निर्बल को तेरा,
बस तेरा सहारा है,
तूने तूने उस प्राणी का,
बाबा काम संवारा है।।
बजरंग बलि जिसने,
तेरा नाम पुकारा है,
तूने तूने उस प्राणी का,
हर काम संवारा है,
बजरंग बलि जिसने,
तेरा नाम पुकारा है,
तूने तूने उस प्राणी का,
बाबा काम संवारा है।।
स्वर – लखबीर सिंह लख्खा जी।
Rajasthani bhajan dayari me bhajan search kyu nahi ho rahe hai