भैरव बाबा तेरी चोखट पै,
ले आश आया हो,
संकट हरदे बाबा मेरा मै,
घणा दुख पाया हो।।
24 घंटे सर घूम्में जा,
संकट जोर जमावै सै,
घर के भीतर बड़ कै बैठया,
रोज मनै डरावै सै,
आधी रात नै सुत्ता ठाकै,
दूर-दूर ले जावै सै,
मारेगा मनै ज्यान तै,
मेरा जी घबराया हो,
संकट हरदे बाबा मेरा मै,
घणा दुख पाया हो।।
काया मेरी रोगी होगी,
कोन्या असर दवाई का,
मन मेरे म्ह रहै उचाटी,
कोन्या काम समाई का,
कुणबा सारा दुखी हो लिया,
साधन ना कमाई का,
रातां की मनै नीन्द और,
दिन का चैन गवाया हो,
संकट हरदे बाबा मेरा मै,
घणा दुख पाया हो।।
52 रुप तेरे दूनीया म्ह,
काल भी तुजको कहते हैं,
56 कलवे कलह हरैं जो,
तेरे संग म्ह रहते हैं,
शरण पडे़ की लाज रखते,
सब दर्दों को लहते हैं,
जब जब तू ललकारया,
भूत ना टोहया पाया,
संकट हरदे बाबा मेरा मै,
घणा दुख पाया हो।।
जान बचा दे बाबा मेरे,
आगकै नै दुखियारे की,
मस्तक ऊपर धूल लगाई,
मनै तेरे द्वारे की,
पड़ रही सै जरूरत बाबा,
मनै तेरे सहारे की,
लक्की और गजेन्द्र का,
कर मन का चाहया,
संकट हरदे बाबा मेरा मै,
घणा दुख पाया हो।।
भैरव बाबा तेरी चोखट पै,
ले आश आया हो,
संकट हरदे बाबा मेरा मै,
घणा दुख पाया हो।।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660
गायक – लक्की शर्मा पिचौलिया।